बिहार सरकार ने आज एक बड़ा ऐलान करते हुए राज्य की एक लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी सेविकाओं को मोबाइल खरीदने के लिए ₹11,000 की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है। यह घोषणा बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 31 जुलाई 2025 को की। इस फैसले का उद्देश्य सेविकाओं को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना है ताकि वे पोषण और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं को टेक्नोलॉजी के माध्यम से बेहतर ढंग से पूरा कर सकें।
सरकार की योजना के तहत यह ₹11,000 की राशि सीधे सेविकाओं के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के ज़रिए भेजी जाएगी। इस पैसे से वे एक अच्छा स्मार्टफोन खरीद सकेंगी जो उनके रोज़मर्रा के काम में इस्तेमाल होगा, जैसे बच्चों के लिए फेस कैप्चर करना, पोषण ट्रैकर पर डेटा अपलोड करना और उपस्थिति दर्ज करना।
फिलहाल राज्य के कई आंगनवाड़ी केंद्रों में सेविकाएं स्मार्टफोन की कमी की वजह से डिजिटल पोषण ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों को समय पर पूरा नहीं कर पा रही हैं। कई जिलों में अब तक सिर्फ 50% से 60% तक ही बच्चों की फेस कैप्चरिंग हो पाई है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने यह मदद देने का फैसला किया है।
राज्य में लगभग 1,15,000 आंगनवाड़ी केंद्र हैं और इनमें कार्यरत सेविकाएं अब इस डिजिटल बदलाव का हिस्सा बनेंगी। यह कदम न केवल पोषण सेवाओं की निगरानी में मदद करेगा बल्कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को भी बढ़ाएगा।
योजना के तहत राशि मिलने के बाद सेविकाओं को एक सप्ताह के भीतर स्मार्टफोन खरीदना होगा और इसकी जानकारी अपने ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी को देनी होगी। ज़िले की रिपोर्ट आगे निदेशालय को भेजी जाएगी जिससे पूरे राज्य में योजना की निगरानी की जा सके।
सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए लगातार डिजिटल माध्यमों को बढ़ावा दे रही है। यह योजना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस योजना से न केवल आंगनवाड़ी सेविकाओं को तकनीकी सहायता मिलेगी, बल्कि राज्य में बाल विकास और महिला सशक्तिकरण की योजनाएं भी मजबूती से आगे बढ़ेंगी।
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